आईपीसी (I.P.C) का मतलब होता है (Indian Penal Code) या भारतीय दण्ड संहिता | यह कानून सन 1860 मे पारिता हुआ था | यह हमे बताता है कि अपराधी द्वारा किया गया अपराध क्या हैं और इसके लिए कितनी सजा या दंड निर्धारित है।
सी.आर.पी.सी
(Cr.P.C) का मतलब होता है (Criminal Procedure Code) या दंड प्रक्रिया सहिंता | यह कानून सन 1973 में पारित हुआ और एक अप्रैल 1974 से लागू हुआ | यह हमे बतलाता है कि अपराधी
द्वारा किए गए अपराध
के
लिए
कार्रवाई
किस तरह की की जायेगी, किस तरह
अपराधी
को
गिरफ्तार
किया
जाएगा, पुलिस कैसे सबूत इकट्ठा करेगी, अदालत में क्या कार्यविधि
अपनाई
जायेगी, अपराधी को
जमानत कैसे
मिलेगी
इत्यादि ।
आइए दोस्तो
सबसे पहले
हम I.P.C को समझने
की
कोशिश
करते
हैं।
I.P.C क्या
होती
है
?
भारतीय दंड संहिता को Indian
Penal Code कहते है और उर्दू
में
ताज-इरात-ए-हिन्द भी कहते हैं । आपने अक्सर
मूवीज मे देखा
होगा
कि
अदालत में जज साहब
जब
किसी अपराधी को सजा सुनाते हैं तो कहते हैं कि ताज-इरात-ए-हिन्द दफा 302 के तहत मौत की सजा दी जाती है ये और कुछ नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता ही होती है और दफा का मतलब धारा या सेक्सन
से
होता
है।
आईपीसी में कुल मिलाकर 511 धाराएं (Sections)
और 23chapters हैं यानी आईपीसी
कुल 23 अध्याओं में बटा हुआ है
|
आईपीसी दुनिया का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह है यानी I.P.C से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है । यह कश्मीर को छोड़कर पुरे देश
में
लागू
है।
अगर हम उदाहरण के माध्यम से आईपीसी
को
समझने
की
कोशिश
करें
तो
आईपीसी ही निर्धारित करेगी की कोई घटना चोरी है, लूट है या डकैती है, मान लो अगर दो व्यक्ति रात में किसी
के मकान मे सेंध
लगाकर
चाहे
कितनी
भी
नगदी,
जेवरात या अन्य कीमती सामान लेकर भागे है यह चोरी कहलाएगी और मान लो अगर दो व्यक्ति अवैध
हथियार
के बल पर घर के सदस्यो को हथियार दिखाकर व डराकर मकान से नगदी,
जेवरात या अन्य कीमती सामान लेते
हैं तो यह
लूट होगी और मान लो यही काम
अगर 5 व्यक्ति
करें तो यह डकैती
होगी क्योंकि आईपीसी
में डकैती की
परिभाषा में पांच
या ज्यादा व्यक्ति लिखा
है । आईपीसी में ही
चोरी, लूट व डकैती
के लिए अलग-अलग
समय के लिए
कारावास/दंड और
जुर्माना का भी
प्रावधान है।
Cr.P.C क्या है |
C.R.P.C को हिन्दी में
दण्ड प्रक्रिया
संहिता कहते है
|
किसी भी प्रकार
के अपराध होने के
बाद दो तरह
की प्रक्रियाएं/कार्यविधि होती
हैं जिसे पुलिस
किसी अपराधी की
जांच करने के
लिए अपनाती है
|
जिनमे से एक प्रक्रिया
पीड़ित के संबंध
में और दूसरी
आरोपी के संबंध
में होती है
|
इन्हीं प्रक्रियाओं
के बारे में Cr.P.C में
बताया गया है
|
यह अपराध होने पर
उस पर पुलिस और
अदालतें किस प्रकार कार्यवाही
करेंगी इसके बारे
में विस्तार से
बताता है।
IPC और CrPC में क्या अंतर होता है?
कानून को दो हिस्से में बांटा गया है:
1. मौलिक विधि (Substantive law)
2. प्रक्रिया विधि (Procedural Law)
मौलिक विधि और प्रक्रिया विधि को फिर से दो भागो मे बांटा गया है | सिविल कानून (Civil law) और दाण्डिक कानून (Criminal Law) | उर्दू में सिविल कानून को दीवानी और दाण्डिक कानून को फौजदारी विधि कहा जाता है | I.P.C मौलिक विधि (Substantive law) है और Cr.P.C प्रक्रिया विधि (Procedural Law) है |
उदाहरण के द्वारा IPC व CRPC को समझना |
अगर कोई व्यक्ति चोरी करता है तो I.P.C की धारा 379 के तहत 3 साल का कारावास और जुर्माना हो सकता है लेकिन अगर किसी घर में या बिल्डिंग में या किसी परिसर में चोरी होती है तो I.P.C की धारा 380 के तहत 7 साल का कारावास हो सकता है | अब अपराध क्या होता है, उस अपराध के लिए क्या सजा होगी इस बारे मे आप जान गए होंगे लेकिन इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी यानी अपराधी को कैसे अरेस्ट/गिरफ्तार किया जाएगा, सबूत इकट्ठा करना, जमानत किस तरह दी जाएगी, जमानत के लिए दरखास्त कहाँ दी जाएगी, आरोपी के अपराध या निर्दोषता को निर्धारित करना, पुलिस के क्या क्या कार्य हैं, वकील और मजिस्ट्रेट के क्या कार्य हैं, गिरफ्तारी के तरीके कैसे होंगे, गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को जेल में कितने दिन रखा जाएगा, मजिस्ट्रेट के सामने उसको कब पैश करना होगा, इस तरह की सारी बातें दंड सहिंता प्रक्रिया के अंतर्गत आती हैं और Cr.P.C में मिलेंगी | संक्षेप में, यह जांच, परीक्षण, जमानत, पूछताछ, गिरफ्तारी आदि के लिए Cr.P.C पूरी प्रक्रिया का वर्णन करता है |
तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा की I.P.C आपराधिक अपराध को दंड के साथ परिभाषित करता है और Cr.P.C सिविल प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम आदि प्रक्रिया विधि है |
Affidavit for caste certificate, Character certificate, correction in name, Ration card, scholarship etc.
Petition Under Section 8 of guardian and wards act for permission for permission to sale the property of minors
legal notice for recovery of money for goods supplied | Legal notice for non payment of dues | legal notice for non payment of bill.
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